होमियोपैथी

''सम: समं सम‍यति''

गुरुवार, 26 फ़रवरी 2015

श्रीमद् भागवत में भी है सदृश चिकित्‍सा विज्ञान का वर्णन ।

दिक्‍कालाघनवच्छिन्‍नानन्‍त चिन्‍मात्र मूर्तये ।
स्‍वानु भूत्‍ये कमानायनम: शान्‍ताय तेजसे ।।
             भूतभावन श्री भगवान की प्रधान लीलाभूमि मानव योनि है, अत:एव प्रकृति ने मानव अन्‍त:करण को पूर्ण विकास युक्‍त एवं विवेकशक्तियुक्‍त बनाया है । फलत: मनुष्‍य अशेष गुणों का आगार, संसार का अलंकार , सृष्टि की पराकाष्‍ठा एवं प्राकृतिक रचना का मुकुट मणि है । मनुष्‍य के पालन, पोषण, संवर्धन, और संरक्षण के निमित्‍त प्राकृतिक  रचना का मुकुटमणि है । मनुष्‍य के पालन, पोषण, संर्वधन और संरक्षण के निमित्‍त प्र‍कृति ने अपरिमित क्षिति, जल, नभ, पावक, पवनादि, देशकाल, ऋतु, आदि, शाक, फल, दुग्‍ध, अन्‍नादि, तथा मणि मन्‍त्र औषधि आदि की रचना करके उनके उपयोग का अधिकार मनुष्‍य को प्रदान कर दिया है । अपने इस अधिकार तथा शक्तिायो का सदुपयोग करके मनुष्‍य स्‍वस्‍थ एवं सुखी रह सकता है ,और दुरूपयोग करके अस्‍वस्‍थ एवं दुखी: हो सकता है यदि मनुष्‍य प्र‍कृति- प्रदत्‍त विवेक से युक्‍त होकर आचार आहार विहार करता है । तो सुखी रहता है यदि विवेक - भ्रष्‍ट होकर आचरण करता है । तो नि:संदेह दुख भोगता है । '' अवष्‍यमेंव भोक्‍तव्‍यं कृत कर्म शुभाशुभम्'' तथा '' काहु न कोउ सुख दुख कर दाता । निजकृत कर्म भोग सब भ्राता ।। आदि प्रसिद्ध उक्तियॉ इसी भाव का समर्थन करती है ।
      

रविवार, 27 मई 2012

बायोकेमिक औषधियॉ

                 होमियोपैथी के अथाह समुद्र से श्रीमान शुशलर महोदय ने बायोकेमिक औषधियों के रूप मे बारह मोती खोजे है । बायोकेमिक औषधियों के रूप मे ये वही पदार्थ है जिनका अनुपात विगडने पर हमारे शरीर मे तमाम प्रकार के रोग व्‍याधि इत्‍यादि होते है ।
 ये बायोकेमिक औषधियॉ और कुछ नही बारह प्रकार के नमक हैं जो हमारे शरीर मे पॉच प्रतिशत मात्रा मे होते हैं जिनका अनुपात बिगडने पर हमारा शरीर रोगग्रस्‍त हो जाता है ।  ये बारह बायोकेमिक औषधियॉ निम्‍न है 


1- कैल्‍केरिया फास
2- फेरम फास
3- नैट्म फास
4- मैग्‍नेशिया फास
5- काली फास
6- कैल्‍केरिया सल्‍फ
7- नैट्म सल्‍फ
8- काली सल्‍फ
9- काली म्‍यूर
10- नैट्म म्‍यूर
11- कैल्‍केरिया फ्लोर
12- साइलेशिया

लू की होमियोपैथिक चिकित्‍सा

               गर्मी अपने चरम पर है। इसके कारण आये दिन घर मे कोई न कोई लू इत्‍यादि से प्रभावित रहता है। ऐसे में होमियोपैथिक दवावो का सहारा लिया जाय तो इससे बचा जा सकता है ।

               अगर भीषण गर्मी मे बाहर जाना ही पड जाय तो ग्‍लोनाइन 30 की दो बूंद बाहर जाने से दस मिनट पहले अवश्‍य लें। 

                 यदि गर्मी या लू का असर हो गया है शरीर में जलन , दर्द, बुखार हो तो ग्‍लोनाइन 30 और बेलाडोना 30 पर्याय क्रम से आधे-आधे घटे से बुखार कम होने तक देते रहें ।

                 यदि गर्मी लगने से उल्‍टी भी शुरू हो जाये तो इसके साथ इपिकाक 30 भी देते रहें। अगर दस्‍त शुरू हो जाये तो एलोज 30 का उपयोग करें ।

                 इन सब के अलावा कच्‍चे आम का पन्‍ना बनाकर सेवन करें तत्‍काल फायदा होगा एव आम का लेप पैरों पर माथे पर एवं नाभि के अगल - बगल लगायें ।